तुम अपने ये
अँधेरे जो पकडे हो,
आज कर दो रिहा |
जो शिकवे यूं
दबाये हो,
आज दो भुला |
खुद के
ख्यालों की खयाली को,
आज कर दो
तूफ़ान |
ऊंचे टंगे अधर के ऊपर छूने को,
बस एक आसमान |
अपने बेपरवाह
क़दमों को,
आज दो अरमान |
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