Wednesday, November 05, 2014

Armaan

तुम अपने ये अँधेरे जो पकडे हो,
आज कर दो रिहा |
जो शिकवे यूं दबाये हो,
आज दो भुला |
खुद के ख्यालों की खयाली को,
आज कर दो तूफ़ान |
ऊंचे टंगे अधर के ऊपर छूने को,

बस एक आसमान |
अपने बेपरवाह क़दमों को,
आज दो अरमान |

No comments: