Thursday, October 06, 2011

chapter one


माँ, प्रणाम ... अरे सो रहा था मैं; इतनी सुबह क्यों phone करते हो आप लोग?! ... और दूसरी बार मैं masturbate कर रहा था, कैसे बात करता? ... माँ आप भी जानते हो की पिछले छह महीनों से मैं किसी के भी साथ नहीं हूँ| ... हाँ, हाँ, ठीक है, मगर आप पापा को मत बताना - वो फिर उस गुप्ता आंटी को फ़ोन करते हैं, फिर अगले दो हफ्ते तक पिंकी मेरे पीछे पड़ी रहती है मिलने के लिए | पापड बेल कर थक चुका हूँ, अब तो कोई नए बहाने भी नहीं सूझते उससे उलझाने के लिए! ... नहीं माँ वो थोड़ी; थोड़ी प्राचीन काल की है| उसे तो इस सदी में जन्म पता नहीं कैसे मिल गया - ज़रूर उसने cheating की होगी | बंदरिया है वो, और मुझे बंदरों में कोई दिलचस्पी नहीं है वैसे भी, ख़ास तौर पर उस साल जब मुझे दो बार rabies shots लेने पड़े थे; oh याद मत दिलाओ अब उसकी, मम्मी | ...मैं office में हूँ - मजदूरी | ... अरे आप ही फ़ोन करते हो ऑफिस के समय पर! ... हाँ ठीक है, bye.

जगमग रोशनी के भरपूर प्रकाश में
हम सतरंगी मुसाफिर इस छोटे दायरे में सीमित
समाज की समझ की जूझ में तुमसे
कुछ कहे कुछ अनकही में
अपने दिल की खींचतान कह बैठे |

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